बासमती चावल हों और उड़द की दाल घी की महकती खुशबू हो और आम का अचार दहीबड़े की सुगंध के साथ हो अपनों का प्यार मुबारक हो आप सभी को खिचड़ी का ये भीना त्योहार...
सजने लगी है आरती की थाली... मंदिर में बजने लगी हैं घंटियां और सजने लगी हैं आरती की थाली सूर्य की रोशन किरणों के साथ अब तो सुनाई देती है एक ही बोली। मकर संक्रांति की शुभकामनाएं...
इस संक्रांति में हमें, काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार जैसे पतंगों को भी काटने चाहिए…
कागज अपनी किस्मत से उड़ती है, और पतंग अपनी काबिलियत से… इसलिए किसमत साथ दे या ना दे… पर काबिलियत हमेशा साथ देती… काबिल बनो… कामयाबी झक मारके पीछे दौड़ेगी…
मिठी बोली, मिठी जुबान, इस त्योंहार का यही है पैगाम… Take Sweet, Talk Sweet; Be Sweet…
'पल पल सुनहरे फूल खिले, कभी ना हो कांटों का सामना, जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे, संक्रांति पर हमारी यही शुभकामना'
मिठे मिठे गुड़ में मिल गया TiL, उड़ी पतंग और खिल गया DiL… चलो उड़ाये पतंग सबलोग Mil…